
आंसू अब बहते नहीं,दिल अब रोता नहीं
गम के सागर मैं,मन अब बहता नहीं
हर गम एक सा ,नया है कुछ भी लगता नहीं
टूटे ड़ाल से पात,बसंत की हरियाली नहीं
गुलिस्तां में रोशन होते पोधे नहीं
उजढ़ा आसियाना, आसमान से डर नहीं
चोट अब भी लगती हैं, पर दर्द और होता नहीं . . .