में , मेरी तन्हाई, कुछ बीते लम्हे , कागज के कुछ टुकड़े को समेटे दो पंक्तिया . . .
Thursday, May 14, 2015
हमारे दरवाज़े उनके लिए खुले है;
पर उनकी खिड़की पे भी ताले है!
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