जाती के नाम
आरक्षण का खेल
सत्ता चाहिए
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धरम में भेद
राजनेताओं का कम
बाँट के रखें
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निश्चुप लोग
दोषारोप करते
कैसे सुधरे
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सहना अच्छा
गलत को न सहे
अनन्या बढ़ें
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गति है प्राण
रुकना है मरण
चलते रहो
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सुख या दुःख
चक्रावत घूमते
सहे सो रहे
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जग दूषित
प्रकृति का विनाश
ध्वंस आह्वान
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हमारा टैक्स
फायदा न देशका
मजा नेता का
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इन्साफ रोता
पैसे की ताकत
अँधा कानून
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हाय किशन
अनाज पैदा कर
भूखा रहता
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देश का हल
नित्य नये घोटाले
हद हो गई
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सहते हम
अनन्याकरीयों को
अनन्या करें
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सिलिंडर छ
काफी भूखे देश मे
बनाने है क्या ?
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:- सजन कुमार मुरारका
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