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Monday, October 1, 2012

नहीं हो दूर हम से...




दूर रहते तुमसे, पर  दूर कंहा रह पाते |
कहने के लिये दूर है,पर दूर नहीं दिल से,
आवाज देकर देखो,दिखेगें हर धढ़कन से |
कोई बात नहीं चलो ,तुम दूर हो गये हम से,
समझ नहीं आता,हम दूर हों तुम से कैसे ?
अफसाने,साथ होने का ख्वाब, दूर नहीं होते,
सोचते हैं, ख्वाब में भी दूर रहेंगे तुम से !
पर नींद नहीं आती बिन तुम्हारे  ख्वाब के ,
चंद दिनों की नजदीकियां,भुलाये हम कैसे ?
दूर रहते तुमसे,दूर कंहा रह पाते दिल से !
उम्मीदि में, अब दूरियां मिटे ना दिल से |
महफ़िल सजती होगी, पर हम ना होंगे ,
हम ने सोचा था जिन्दगी भर दूर ना होंगे ,
जुल्म की इन्तिहा है, दूर किया बेवजह से !
वजह थी आपकी, सजा हमें दी जा रही कैसे ?
हृदय पटल पर अंकित तस्वीर दूर करे कैसे ?
चाहत को पलकों में बसा घूम रहे है कब से,
दूरियां मिटे ना मिटे, तुम नहीं हो दूर हम से !
जाने क्या बात,तुम भी हो,पर रहते दूर-दूर से |
:-सजन कुमार मुरारका

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