नजदीक रहे, नजदीक न रह पाये,
नजर तो उठी, पर नजर न मिलाये,
वहम था दिल का, कभी तो नजदीक होंगें,
अल्फाजे बयां, दिल की हर बात कहेंगें |
जुल्म-सितम जुवां का वह तो चुप रहे
उम्मीदे आसमां की शायद वह कुछ कहे,
बात चले,नजर मिले, नजदीक जा पाये,
नजाकत उनकी,क़त्ल हुवे, उफ़ तक न कर पाये |
जालिम दिलवर, हर वक़्त नजदीक से गुजर जाते,
तरसते सुखी धरा से हर एक बूंद को ललचाते,
चिल-चिलाती धुप मे, सूखे होंटों से प्यास बुझाते,
गफलत मे थे-पसीजे दिल,झूठी थी मन्नते,
दिल नहीं जिन के पास, वह दिल का हल क्या जाने,
मोहब्बत है, इब्बादत है, मौत से डरते नहीं परवाने,
पास कभी गए नहीं, नजदीक का लुफ्त है बेमाने,
वह खुद से नजदीक नहीं, अगर देखते वह आईने,
अश्क दिखता मेरी मायूसी का उनके चहरे पे,
दिल की बात, कहती सब बेजूवान आँखों से,
उल्फत भरा नजराना गम के प्यालो मे,
अफ़सोस कंहा, वह हमारे नजदीक न हो पाये |
रात कट जाती, ख्वावों मे, जोशे तम्मना जगाये !
:-सजन कुमार मुरारका
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