Powered By Blogger

Sunday, December 2, 2012

"सेदोका"..एक नया प्रयास-(भाग-तीन)

  http://www.booksshouldbefree.com/image/detail/Short-Poetry-1.jpg
 
"सेदोका"..एक नया प्रयास-(भाग-तीन)
***********************
सो-सो लफ्ज मे
लुटाया बेसुमार
एक लफ्ज काफी था
दिल की बात
अरमान दिल के
ज़ताने को था प्यार
........................

तेरा मिलन
बदन की खुशबु,
सीने मे  हलचल
सासों  की मस्ती
ढल गया आंचल
बुझाती नहीं प्यास

.............................
दु :ख  के बाद
सुख  का है  सफ़र;
स्वप्न भरी  आरजू
जीने की आश
नादान दिल माने
जीता इसी बहाने

.............................
बरसात मे
बादल अम्बर में
विरह  नयन में
बरसे दोनों
एक मिले धरा से
एक गिरे धरा पे

.............................
ब्याकुल मन
चिन्ता भरा संसार
दुःख करे बेकार
धीरज धर
मत्त का नहीं सार
प्रभु चरण धार 

.............................
विवेक द्वन्द
मन भटक रहा
दिमाग हार जाता
स्वार्थ-लालसा
बेशर्मी का तमाशा
जीवन परिभाषा

..........................
धर्म का सार
वक़्त कैसे बदले,
सुख, दुःख,  जलन-
ख़ुद में मग्न
नाउम्मीद ही मिले;
आ, प्रभु पैर तले

******************
सजन कुमार मुरारका

No comments:

Post a Comment