प्यार तुम्हारा पाने को, जाने क्या करना होगा
रात से सुबह तक मैं तुमको याद करूँगा
तुम क्षितिज बनो तो बनो सूरज मैं बनुगां
कुछ पंछी रहना चाहे जैसे बंद पिंजरे में
आओ ज़िन्दगी एक बार फिर गले मिल लें
..?किसी ख़ामोश शाम को वो एक पल आया था
आहत मन, विकृत शरीर दुख को तेरा दर याद रहे
मुझे कुन्दन बनने की चाह, तुम हिम का एक कण
सोचता हूँ इस ही पर रोज़ कुछ गीत लिखूँ
रात से सुबह तक मैं तुमको याद करूँगा
तुम क्षितिज बनो तो बनो सूरज मैं बनुगां
कुछ पंछी रहना चाहे जैसे बंद पिंजरे में
आओ ज़िन्दगी एक बार फिर गले मिल लें
..?किसी ख़ामोश शाम को वो एक पल आया था
आहत मन, विकृत शरीर दुख को तेरा दर याद रहे
मुझे कुन्दन बनने की चाह, तुम हिम का एक कण
सोचता हूँ इस ही पर रोज़ कुछ गीत लिखूँ
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