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Wednesday, November 14, 2012

जिन्दगी का फ़लसफ़ा




"प्यार" ही जिन्दगी का शायद सही फ़लसफ़ा है ;
जो हर एक " जिंदादिल"  जिन्दगी  में  बसता है ;

वैसे चाहे, कोई अकेला भी जीने को, जी लेता है !
वीराने मे खिले- गुलबहार,वह कोई खिलना है ?

किसी के दिल में पनाह पाये,यह हमारी आरजू है ;
किसी के होंटों की मुस्कुराहट बने यह अरमान है ;

हम ना रहे, पर हमे याद मे रहने की चाहत है !
फरियाद करेंगे वह किस से, जब दिल टूटता है ,

कहते जो हमारे लिये उनके पास वक़्त नहीं है ;
खोजेंगे हमे,वक़त आने पर,यह हमारा वादा है !

मोजुदगी नहीं, होने का एहसास ही  खास है ;
दिल की नजर से देखिये, हम आपके पास है |
सजन कुमार मुरारका

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