में , मेरी तन्हाई, कुछ बीते लम्हे , कागज के कुछ टुकड़े को समेटे दो पंक्तिया . . .
Thursday, November 15, 2012
उल्लू चड़ लक्ष्मी जी आये !
तुष्ट होती उल्लू जो बनाये ,
उल्लू बनाय धनवान हो जाये,
लक्ष्मी जी का वाहन बताये !!
मुर्ख को उल्लू बताया जाय,
उसी के सहारे लक्ष्मी पाय ,
जो उल्लू किसी को न बनाय,
लक्ष्मी जी किस तरह आय !!!
सजन कुमार मुरारका
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