में , मेरी तन्हाई, कुछ बीते लम्हे , कागज के कुछ टुकड़े को समेटे दो पंक्तिया . . .
Wednesday, March 6, 2013
जिन्दगी
लम्बी जिन्दगी की दुआ जब मुझे मिले
सोच मे भीषण बवंडर आये होले -होले
जिन्दगी अब कांह जीते,यों ही काट रहे
जिसे काटना है,उसे फ़िर लम्बा क्यों खींचे
सजन
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