में , मेरी तन्हाई, कुछ बीते लम्हे , कागज के कुछ टुकड़े को समेटे दो पंक्तिया . . .
Wednesday, March 6, 2013
सूरत
पत्थरों को तराश के बनती हसीन मूरत!
दिल को तराश कर सजाई थी तेरी सूरत ।
सजन
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