में , मेरी तन्हाई, कुछ बीते लम्हे , कागज के कुछ टुकड़े को समेटे दो पंक्तिया . . .
Sunday, February 17, 2013
चाहत
बड़ी मुद्द्त से चाह थी कोई दिलरुबा मिले;
मिले भी तो सनम,बड़े ही वह बेवफा मिले !
सजन
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