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Friday, March 16, 2012

अश्क

अश्कindia.lalit@gmail.com
यह अश्क आँखों से जब निकलता है
या फिर दिल मैं जब उतर जाता है
न पता नस्तर सा कंही चुभ जाता है
हर ख़ुशी भी दर्दे ऐ दिल बताता है
वक़्त ही है जो और रुलाता
करवटे बदल बदल कर नहीं बिखर जाता
जिंदगी की कडवाहट, सफ़र की गर्द
वक़्त के साये मैं हो जाते है सर्द
यादों के साये मैं गुजरता नहीं वक़्त
मिटा दे यह गम, ज़माने मैं नहीं ताकत
खुद-ब-खुद यह अश्क सैलाब बन जाता
लाख संभाले दिल ,आँखों से निकल आता
अश्क आँखों से निकलता, दिल मैं समांजाता

:- सजन कुमार मुरारका 

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