सच का अनुसंधान
क्यों कोई होत बुरा, बात मन को सताय !
जन्मे जब एक से, बुरा कैसे वह बन जाय !!
बुरा जब आदमी नहीं, उस में कैसे आता शैतान !
सब मिल सोचिये, हम फिर बन जाय इन्सान !!
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई धर्म भेद न सिखाय!
धर्म की बात जानिये, मजहब की बात न समाय !!
उपरवाले की लीला, हम कैसे करें इसका विधान !
जात-पात,उंच-नीच, भेद-भाव से क्यों चलाये जहान !!
रोटी जो बढ़ी हो जाय, सब इमान इसमें समाय !
प्रभु के नाम से धोखा, साधू-संत दुकानदारी दें जमाय !!
जात का जन्म- हिन्दू से हिन्दू, मुस्लमान से मुस्लमान !
बिन जात से कैसे जन्मेगा इन्सान, कैसे बचेगा जहान !!
मैं जो अज्ञानी, न जानु किया है ज्ञान ।
देख दुनिया, मन करे सच का अनुसंधान !!
अर्जुन कवी के दोहे से प्रभावित और छाया अनुकरण से लिखी गई है
सजन कुमार मुरारका
जन्मे जब एक से, बुरा कैसे वह बन जाय !!
बुरा जब आदमी नहीं, उस में कैसे आता शैतान !
सब मिल सोचिये, हम फिर बन जाय इन्सान !!
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई धर्म भेद न सिखाय!
धर्म की बात जानिये, मजहब की बात न समाय !!
उपरवाले की लीला, हम कैसे करें इसका विधान !
जात-पात,उंच-नीच, भेद-भाव से क्यों चलाये जहान !!
रोटी जो बढ़ी हो जाय, सब इमान इसमें समाय !
प्रभु के नाम से धोखा, साधू-संत दुकानदारी दें जमाय !!
जात का जन्म- हिन्दू से हिन्दू, मुस्लमान से मुस्लमान !
बिन जात से कैसे जन्मेगा इन्सान, कैसे बचेगा जहान !!
मैं जो अज्ञानी, न जानु किया है ज्ञान ।
देख दुनिया, मन करे सच का अनुसंधान !!
अर्जुन कवी के दोहे से प्रभावित और छाया अनुकरण से लिखी गई है
सजन कुमार मुरारका
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