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Saturday, September 8, 2012

ऐसी भी होती एक आत्म-व्यथा

ऐसी भी होती एक आत्म-व्यथा

उन्मुक्त,आनन्दित, उच्छ्वास सह अभिमान
पुत्र-जन्म घोषित-अघोषित परिणाम- सन्मान
अम्बर प्रसारित आशाओं का नव  अभ्युथान
दिग्भ्रमित विहंगम सा कलोल्लित गुंजन-तान

        सुकोमल, शीतल- नन्हे करों का स्पर्श सुजान
        वक्त-दर-वक्त बढ़ते कदमो का गतिमय अभियान
        पुरातन अवहेलित,परिलक्षित परिवर्तन महान
        समय ग्रन्थि पर रुके क्षीण रथ का कंहा है स्थान

निरुपाय-असहाय पित्रीत्व का बिधि-बिधान
आशाओं के दीप जलाये यातनाओं के मशान
जब निज संतति, संताप के कारन दृश्यमान
स्तब्ध, शीतल धमनी, निस्पंद ह्रदय लहू-लुहान

        अश्रु उद्भाषित-सजल, रक्तिम लोचन
        निस्तेज,जर्जरित,अशांत ताम्र वदन
        उद्वेलित,अभिमानी, निष्टुर आत्म-रुदन
        निश्चुप, निर्वाक, स्तिमित गति स्पन्दन

अगन तन-मन में अपरिमेय तड़पन
निर्जीव,निश्चल लोचन, पीड़ामय मंथन
आकांक्षित सूत मुख सादर पिता संबोधन
चाहे मन प्रेम उदगार किसी क्षण- प्रतिक्षण
     ;-सजन कुमार मुरारका

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