वह बैठे मेरे पास ?
तस्वीर करे ना परिहास,
उनके नजर में उपहास-
मन को करता उदास,
तस्वीर से बुझे नजर की प्यास
वह बैठे मेरे पास |
इधर उनकी तस्वीर मेरे हाथ ,
वह बैठे उस हाथ,
तस्वीर तो देती साथ ,
वह रूठे, बिन कोई बात,
साथ बैठे, फिर भी नहीं साथ |
तस्वीर से करते आलाप,
सुन लेती बिन आवाज़ चुप-चाप |
वह बैठे निस्ताप-
मेरे दर्द से नहीं कोई परिताप,
तस्वीर से मिटाते यादों का सन्ताप |
तस्वीर में देते वह मुस्कान
देख जीना हो जाता आसन,
पास बैठे न दिखाये रुझान,
बेरुखी से जीना है मौत का फरमान !
मेरे हालात पर नहीं उनका ध्यान
आंसुओं को आँखों में नहीं स्थान |
उन से भली उनकी तस्वीर-
न दिखाये रुतवा, न कोई गरूर
बेजान-निश्चुप रहती जरुर
मरेंगे नहीं,तस्वीर से देते वह नजर,
जी लेते जिन्दगी, वह अपना लेते अगर |
तस्वीर से कियों करते दीदार |
:-सजन कुमार मुरारका
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